Mental Health and Stress Management

Mental Health and Stress Management: A Necessary Conversation):

क्या आपने कभी महसूस किया है कि दिनभर की भागदौड़, ऑफिस के टारगेट, परिवार की उम्मीदें, या सोशल मीडिया की चकाचौंध आपको अंदर से खोखला कर देती है? आजकल यह समस्या कोई अकेले की नहीं रह गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 15-20% युवा Mental Health मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, और 2022 के एक सर्वे के मुताबिक, हर 7 में से 1 भारतीय किसी न किसी मानसिक विकार से प्रभावित है। यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं, लेकिन सच्चाई यही है: Mental Health (मानसिक स्वास्थ्य) आज की दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।

इस लेख में हम समझेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य क्या है, तनाव कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है, और इसे मैनेज करने के प्रैक्टिकल तरीके क्या हैं। साथ ही, हम भारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गलतफहमियों को भी तोड़ेंगे।

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Mental Health – A Simple Definition:

Mental Health (मानसिक स्वास्थ्य ) का मतलब सिर्फ “पागलपन” या “डिप्रेशन” नहीं है। यह हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, और सामाजिक कल्याण की अवस्था है। जैसे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हम व्यायाम करते हैं, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक सोच, रिश्तों की देखभाल, और स्वस्थ आदतें ज़रूरी हैं।

उदाहरण:

  • अच्छा मानसिक स्वास्थ्य: नौकरी छूटने पर निराशा महसूस करना, लेकिन नई संभावनाएं तलाशने की कोशिश करना।
  • खराब मानसिक स्वास्थ्य: उसी स्थिति में खुद को बेकार समझकर नशे या आत्महत्या के विचारों में डूब जाना।

 

Mental Health


Stress – friend or foe? तनाव – दोस्त या दुश्मन?

तनाव एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, जो हमें खतरों से निपटने के लिए तैयार करती है। लेकिन जब यह लंबे समय तक बना रहे, तो यह दुश्मन बन जाता है।

types of stress:

  1. अच्छा तनाव (Eustress): परीक्षा से पहले पढ़ाई के लिए मोटिवेट करना।
  2. बुरा तनाव (Distress): लगातार काम का प्रेशर जिससे नींद और भूख गायब हो जाए।
Causes of Stress in Indian Context:
  • करियर और पैसे की टेंशन (खासकर युवाओं में)।
  • पारिवारिक अपेक्षाएं (जैसे, शादी या नौकरी का दबाव)।
  • सोशल मीडिया की “परफेक्ट लाइफ” दिखाने की होड़।

Case Study:
दिल्ली की 28 वर्षीया प्रिया (नाम बदला हुआ) ने बताया कि IT की नौकरी में 12-घंटे की शिफ्ट और “सिंगल रहने” के लिए परिवार की टिप्पणियों ने उन्हें एंग्जाइटी की दवाइयों तक पहुंचा दिया।


Effects of stress on the body and mind:

  1. शारीरिक प्रभाव:
    • सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर, पाचन संबंधी समस्याएं।
    • WHO के अनुसार, 75-90% डॉक्टर विज़िट तनाव से जुड़ी समस्याओं के कारण होते हैं।
  2. मानसिक प्रभाव:
    • चिड़चिड़ापन, निर्णय लेने में कठिनाई, याददाश्त कमज़ोर होना।
    • लंबे समय तक तनाव डिप्रेशन या पैनिक अटैक का कारण बन सकता है।
  3. सामाजिक प्रभाव:
    • रिश्तों में दूरियां, काम पर प्रदर्शन गिरना।

How to control stress? 5 practical tips:

  1. दिनचर्या में बदलाव:
    • रोज़ 30 मिनट टहलें या योग करें। प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम) तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को कम करता है।
    • नींद को प्राथमिकता दें – 7-8 घंटे की नींद मस्तिष्क को “रीसेट” करती है।
  2. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन:
    • ऐप्स like “स्वस्थ मन” या “कलम” (भारतीय ऐप्स) की मदद से गाइडेड मेडिटेशन करें।
    • 5-4-3-2-1 तकनीक: तनाव महसूस होने पर 5 चीजें देखें, 4 आवाज़ें सुनें, 3 चीजें छुएं, 2 गंध सूंघें, 1 स्वाद चखें। यह आपको “पल में वापस” लाएगा।
  3. बातचीत है ज़रूरी:
    • किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार वाले से अपनी भावनाएं शेयर करें।
    • प्रोफेशनल मदद लेने से न शर्माएं – मनोवैज्ञानिक से सलाह लेना उतना ही नॉर्मल है जितना डॉक्टर के पास जाना।
  4. डिजिटल डिटॉक्स:
    • दिन में 1 घंटा सोशल मीडिया से दूर रहें। “डराने वाली खबरों” (Doomscrolling) से बचें।
  5. हॉबीज़ को समय दें:
    • पेंटिंग, गार्डनिंग, या कुकिंग जैसे काम दिमाग को शांत करते हैं।

The role of society and family:

भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आज भी कलंक बना हुआ है। लोग “लोग क्या कहेंगे?” के डर से मदद नहीं मांगते। परिवारों को समझना चाहिए कि “मानसिक बीमारी कोई कमज़ोरी नहीं” है।

सकारात्मक बदलाव के उदाहरण:

  • बॉलीवुड सेलिब्रिटीज जैसे दीपिका पादुकोण और आलिया भट्ट ने खुलकर अपने डिप्रेशन के बारे में बात की है।

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Conclusion:

मानसिक स्वास्थ्य एक लग्जरी नहीं, बल्कि ज़िंदगी का आधार है। तनाव को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है, लेकिन उसे मैनेज करना संभव है। याद रखें:

  • “ना” कहना सीखें।
  • खुद के लिए समय निकालें।
  • मदद मांगने में कोई शर्म नहीं।

जैसे हम शारीरिक बीमारी में डॉक्टर के पास जाते हैं, वैसे ही मानसिक समस्याओं में एक्सपर्ट की सलाह लेना ज़रूरी है। आप अकेले नहीं हैं – बदलाव की शुरुआत आपसे ही होगी।


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